दिवाली 2024 का शुभ मुहूर्त और पूजा के लिए उत्तम समय इस प्रकार हैं:
महत्वपूर्ण तिथियाँ:
- धनतेरस: 29 अक्टूबर 2024 (मंगलवार)
- नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): 31 अक्टूबर 2024 (गुरुवार)
- लक्ष्मी पूजन (मुख्य दिवाली): 1 नवंबर 2024 (शुक्रवार)
- गोवर्धन पूजा: 2 नवंबर 2024 (शनिवार)
- भाई दूज: 3 नवंबर 2024 (रविवार)
दिवाली के शुभ मुहूर्त:
- अमावस्या तिथि: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:53 बजे शुरू होकर 1 नवंबर 2024 को शाम 6:17 बजे समाप्त होगी।
- प्रदोष काल पूजन समय: 1 नवंबर 2024 को शाम 5:44 बजे से रात 8:19 बजे तक।
- निशीथ काल: 1 नवंबर 2024 को रात 11:44 बजे से 2 नवंबर 2024 को 12:36 बजे तक।
दिवाली पूजा विधि
दिवाली पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा घर में सुख-समृद्धि, शांति, और धन की प्राप्ति के लिए की जाती है। यहाँ दीवाली पूजा की सरल विधि बताई जा रही है:
पूजन सामग्री:
- लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ
- चावल (अक्षत), कुमकुम, हल्दी, और रोली
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- फूल (विशेष रूप से कमल या गुलाब)
- मिठाई (लड्डू, मोतीचूर)
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और शक्कर)
- चांदी का सिक्का, सुपारी, पान के पत्ते
- जल, गंगाजल, दीपक, तेल, रुई
- नारियल, फल, मेवे
- दीपमालाएं (दीये)
पूजन विधि:
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सफाई और सजावट: सबसे पहले घर की अच्छे से सफाई करें और पूजा स्थल को सजाएँ। मुख्य द्वार पर रंगोली और दीपमालाएं सजाएँ। पूजा स्थल को फूलों से सजाएँ और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को एक साफ चौकी पर रखें।
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मूर्ति स्थापना: लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को पूजा स्थल पर विराजमान करें। ध्यान दें कि गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है, इसलिए उनकी मूर्ति को पहले रखें।
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घटस्थापना: मूर्तियों के सामने एक कलश (जल से भरा हुआ) स्थापित करें। कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें।
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पूजा का आरंभ: सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। उन्हें अक्षत, कुमकुम, और फूल अर्पित करें। इसके बाद माँ लक्ष्मी की पूजा करें। दोनों को जल अर्पित करें और अगरबत्ती, धूप दिखाएं।
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मंत्र जाप:
- गणेश जी का मंत्र:
“ॐ गं गणपतये नमः” - लक्ष्मी जी का मंत्र:
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
- गणेश जी का मंत्र:
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अर्घ्य अर्पण: लक्ष्मी-गणेश को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें वस्त्र, आभूषण, फूल-मालाएँ अर्पित करें।
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नैवेद्य और भोग: पूजा के अंत में लक्ष्मी और गणेश जी को मिठाई, फल, मेवे और अन्य नैवेद्य अर्पित करें। विशेष रूप से माँ लक्ष्मी को कमल का फूल और सफेद मिठाई चढ़ाएं।
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आरती: दीप जलाकर लक्ष्मी-गणेश जी की आरती करें। आरती के बाद सभी परिवारजनों को तिलक करें और प्रसाद बांटें।
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दीप जलाना: अंत में घर के हर कोने में दीप जलाएं, विशेषकर मुख्य द्वार पर दीप जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
विशेष टिप्स:
- पूजा के समय पूरा परिवार साथ बैठकर पूजा करे, इससे परिवार में एकता और समृद्धि बनी रहती है।
- दीयों की रोशनी से घर को पूरी तरह रोशन करें, ताकि माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद पूरे घर पर बरसे।
- पूजा के बाद लक्ष्मी जी से घर में स्थायी रूप से निवास करने और धन-संपत्ति के साथ सुख-शांति का आशीर्वाद मांगें।
इस पूजा विधि से आपका घर सुख, शांति और समृद्धि से भरा रहेगा।
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